बलिदानी राजा गुरु बालकदास फिल्म साहस और शौर्य की अनुपम गाथा : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय…..

बलिदानी राजा गुरु बालकदास फिल्म साहस और शौर्य की अनुपम गाथा : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय…..

रायपुर: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर स्थित अंबुजा मॉल के सिनेमाघर में छत्तीसगढ़ी फिल्म “बलिदानी राजा गुरु बालकदास” को देखने पहुँचे।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, कैबिनेट मंत्री गुरु खुशवंत साहेब, विधायक श्री डोमनलाल कोर्सेवाडा, विधायक श्री रोहित साहू, धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब सहित अनेक जनप्रतिनिधि और सतनामी समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि “बलिदानी राजा गुरु बालकदास” फिल्म साहस और शौर्य की अनुपम गाथा है। गुरु बालकदास ने अंग्रेजों एवं पिंडारियों द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और भुखमरी के विरुद्ध न केवल संघर्ष किया, बल्कि समाज को संगठित करने का भी प्रयास किया। उन्होंने शिक्षा का अलख जगाने, सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने और अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

छत्तीसगढ़ी फिल्म देखने पहुंचे मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह

मुख्यमंत्री श्री साय ने यह घोषणा की कि फिल्म “बलिदानी राजा गुरु बालकदास” को छत्तीसगढ़ में टैक्स फ्री किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक दर्शक इस प्रेरणादायी गाथा को देख सकें और अपने इतिहास तथा विरासत से जुड़ सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ राज्य प्रारंभ से ही वीर शहीदों और संत-महात्माओं की धरती रहा है। आवश्यकता है कि हम अपने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के इतिहास को जानें और समझें। उन्होंने कहा कि यह फिल्म छत्तीसगढ़ की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, राज्य की समृद्ध संस्कृति, सामाजिक सद्भाव, अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और जीवन की सहजता को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत करती है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा की प्रतिभाओं की सराहना करते हुए कहा कि हमारे कलाकार, निर्देशक और पूरी यूनिट मेहनत और लगन से कार्य कर रही है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा आज दर्शकों के दिलों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित फिल्म सिटी का निर्माण छत्तीसगढ़ी सिनेमा को बेहतर अधोसंरचना, अधिक अवसर और राष्ट्रीय मंच प्रदान करेगा। इससे स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और राज्य की सांस्कृतिक पहचान और भी सशक्त होगी।

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